Dhara 163 Kya Hai | धारा 163 क्या हैं और कब लगती हैं ?

Dhara 163 Kya Hai | धारा 163 क्या हैं और कब लगती हैं ?

Dhara 163 Kya Hai | धारा 163 क्या हैं और कब लगती हैं ? : अगर आप किसी सरकारी दफ्तर में जाते हैं तो वहाँ के अफसर आपसे आपका काम करने के लिए रिश्वत की मांग करते हैं और जब तक आप रिश्वत नहीं दे देते वह आपका काम नहीं करते और आपको परेशान करते हैं। लेकिन आपको शयद पता नहीं होगा भारत दंड संहिता में एक धरा हैं जिसे 163 कहते हैं जो रिश्वत लेने और देने वाले व्यक्ति पर लगती हैं। इस र्तिक्ले में हम आपको IPC 163 धारा क्या हैं, और यह धारा किसी सरकारी अफसर पर कैसे लगवाए के बारे में जानकारी देंगे।

IPC 163 धारा क्या हैं | IPC 163 Kya Hoti Hain ?

धारा 163 भारत दंड संहिता की एक विशेष धारा हैं, जो भारत दंड संहिता IPC के अंदर आती हैं। यह धारा उन लोगो पर लगती हैं जो रिश्वत लेते या देते हैं। जब कोई व्यक्ति या अधिकारी किसी से रिश्वत लेता हैं या कोई उस अधिकारी को रिश्वत लेकर काम करने के लिए कहता हैं तो उस व्यक्ति पर यह धारा लगती हैं।

अब आपके मन में यह सवाल उठेगा के आप किसी सरकारी अफसर के ऊपर धारा 163 कैसे लगवाए या किसी सरकारी अफसर की रिपोर्ट कहा करे। आपको बता दे संविधान ने घूसखोरी को ख़तम करने के लिए धारा बनायीं है और सरकार ने भी घूसखोरी ख़तम करने के लिए एक विभाग बनाया हैं जिसे ACB कहा जाता हैं।

ACB (Anti Corruption Bureau ) क्या हैं ?

दोस्तों जब भी कोई सरकारी अफसर आपसे आपका काम करने के लिए रिश्वत मांगता हैं तो आप ACB में उसके नाम की रिपोर्ट कर सकते हैं। अधिकतर सरकारी अफसर ही घूसखोर होते हैं तो इन बातो का ध्यान रखते हुए सरकार ने एक अलग से विभाग बनाया हैं जहा पर आप किसी भी घूसखोर अधिकारी के नाम की रिपोर्ट करा सकते हैं लेकिन ACB में रिपोर्ट करने से पहले आप इन बातो का ध्यान ज़रूर रखे।

  • अगर आप किसी सरकारी अधिकारी के नाम की रिपोर्ट करना चाहते हैं तो आपको ACB में जाने से पहले उस सरकारी अधिकारी के खिलाफ ऑडियो रिकॉर्डिंग / वीडियो रिकॉर्डिंग / गवाहों के बयान या अन्य किसी पारकर के दस्तावेज़ साथ लेकर जाए। जिस से आपका केस मज़बूत बनेगा और उस अधिकारी को सख्त से सख्त सज़ा हो पायेगी। अन्यथा बिना किसी साबुत के विभाग भी उस अधिकारी को सज़ा नहीं दे पायेगा।

Difference Between IPC 163 and CrPC 163 | IPC 163 और CrPC 163 में क्या अंतर हैं

अक्सर लोगो को IPC (Indian Panel Code)और CrPC (Code of Criminal Procedure) में काफी भ्रम होता हैं क्युकी दोनों का ही सम्बन्ध कानून से हैं लेकिन इन दोनों का ही उद्देश्य अलग हैं और काम करने के क्षेत्र भी अलग ही हैं। आइये IPC 163 और CrPC 163 में आदत समझते हैं।

IPC 163CrPC 163
धारा IPC 163 उस वक़्त लगती हैं जब कोई व्यक्ति रिश्वत लेता हैं या जब किसी व्यक्ति को रिश्वत दी जाती हैं। CrPC 163 पुलिस द्वारा बयां लेने से जुडी हैं इस धारा के तहत पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को बयान देने के लिए मज़बूर नहीं कर सकते।
इस धारा को भ्रष्टाचार और रिश्वत को रोकने के लिए बनाया गया था। इस धारा को यह सुनिश्चित करना हैं की पुलिस जांच पूरी निष्पछ और पारदर्शी हो।
अगर पुलिस कर्मी किसी व्यक्ति को बयान देने के लिए मजबूर करता हैं तो वह दोषी हो सकता हैं। इसमें एक व्यक्ति जो ईमानदारी से काम कर रहा हैं और कोई ज़बरदस्ती रिश्वत ले या दे रहा हैं तो उसपर कार्यवाही हो सकती हैं। और दोनों पर भी कार्यवाही हो सकती हैं अगर दोनों दोषी हैं तो।

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धारा 163 में कितने समय की सजा होती हैं ?

अगर कोई व्यक्ति धारा 163 में रिश्वत लेते या देते दोषी पाया जाता हैं तो उसे जुर्माना देना पढता हैं और एक साल तक की या उस से ज़्यादा तक की सज़ा हो सकती हैं।

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